कोरोना काल में स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे ऑनलाइन पढाई कर रहे है, परन्तु कुछ बच्चे ऐसे भी है जिनके पास ऑनलाइन पढ़ने का कोई साधन नहीं है | इसलिए कई बच्चे पढाई से वंछित रह गए है | एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 32 करोड़ 7 लाख से ज्यादा बच्चे लॉकडाउन की वजह से पढ़ाई से दूर हो गए हैं।
बच्चों में मानसिक तनाव ऑनलाइन क्लास से बढ़ा , पेरेंट्स परेशान
बच्चों की जिंदगी में क्लासरूम और ब्लैकबोर्ड की जगह कंप्यूटर और लैपटॉप ले चुका है अपने स्कूल और दोस्तों को याद कर रहे हैं बच्चे, स्कूल में दूसरी एक्टिविटीज़ भी होती थी जिसके द्वारा बच्चे अपना मन बहलाते थे जैसे की डांस करते थे, पेंटिंग, म्यूजिक क्लास होती थी। ऑनलाइन क्लास में भी ये सब होता है, लेकिन इसमें वो मजा नहीं आता। ऑनलाइन क्लासेज ने असाइनमेंट का भी मेंटल प्रेशर बढ़ा दिया है। ‘वर्चुअल क्लास’ का ये सेटअप असल क्लास से बिल्कुल अलग है, ऐप यूज करते वक्त भी बच्चो और टीचर्स को कई बार परेशानी आती है। क्यों की ऑपरेट करना भी कठिन होता है |
ऑनलाइन पढ़ाई न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि पेरेंट्स के लिए भी चुनौतीपूर्ण रही है। बच्चों के व्यवहार में आए परिवर्तन से परेशान हैं, अभिभावक । उनका कहना है, ‘अब बच्चों में जिज्ञासा खत्म हो रही है। उन्होंने टीचर्स की मेहनत को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। बच्चों को पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं रहती जिससे उनमें स्किल्स भी डेवलप नहीं हो पा रहे हैं।’
माता-पिता को स्कूल की फीस के साथ इंटरनेट का खर्च उठाना पढ़ रहा है
कहीं पैसों की तंगी से पढ़ाई छूट न जाए
स्मार्ट फोन न होने की वजह से कई दबच्चो की पढ़ाई छूटी है । कई पालकों को स्मार्टफोन के लिए कर्ज लेना पढ़ रहा है। बीच में स्कूल बुलाकर पढ़ाया गया, तब अच्छी से पढ़ाई होने लगी थी, लेकिन कोरोना के केस बढ़े तो स्कूल वापस बंद हो गए।
कोरोना काल में शिक्षा की यह स्थिति डराने वाली है। एक तरफ ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों पर शारीरिक और मानसिक तनाव बढ़ रहा है तो दूसरी और देश में कई बच्चे ऐसे हैं जिन तक ऑनलाइन क्लास पहुंच ही नहीं पाई। ऐसे में देश में ड्रॉप आउट रेट बढ़ सकता है।